Friday, January 16, 2015

'S.K. Gupta (M-552) - चाहत +

S.K. Gupta (M-552)


"चाहतें"

जीवन का सबसे बड़ा सपना - केवल 'इंसान' बन के रहना |
जीवन की सबसे गाढ़ी कमाई - नेकी, ईमानदारी और सच्चाई | 
जीवन के सबसे अनमोल क्षण - निर्मल, निश्छल और चिंतामुक्त बचपन | 
जीवन की सबसे मधुर मुस्कान - संस्कारी बने संतान |
जीवन की सबसे प्रबल अभिलाषा - जीवन-साथी का साथ मिले हमेशा |
जीवन की सबसे महत्वपूर्व घड़ी - आपसी विश्वास और नाजुक रिश्तों की मजबूत कड़ी | 
जीवन का सबसे अनमोल खज़ाना - संकट के समय दोस्ती को निभा पाना | 
जीवन का सबसे बड़ा सुख - जाते समय न रहे "कुछ" न कर पाने का दुःख |
जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार- जीवन में कभी न मिले तिरस्कार |
जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप- जाने के बाद भी लोग कहें, चलो अच्छा हुआ आखिर कट ही गया पाप |  
जीवन की सबसे बड़ी इच्छा - जब प्राण छूटें तो यह मन से बस यही निकले कि हे ईश्वर, तेरा लाख-लाख शुक्रिया !     

एस.के.गुप्ता 
एम-552
18/05/15 
 




"चुनाव आये तो, नेता जी पधारे " 

जैसे ही घोषित हुए आगामी चुनाव 
हमारे सभी नेताओं का बदल गया बर्ताव ! 
जो कुछ समय पहले तक 
ढूंढने पर भी कहीं भी मिल नहीं पाते थे 
अब वे सभी हमारे ही शहर की गलियों-चौराहों पर 
चुनावी रैलियां करते हुए पाये जाते हैं । 
आजकल तो आलम यह है कि वे अक्सर ही 
वोटरों के हाथों में डालकर अपने सुकोमल हाथ 
अक्सर कहते हैं हम तो हमेशा से हैं केवल आपके साथ ! 
दरअसल, हुआ यूं कि पीछे कुछ समय से हम 
जनता की सेवा में कुछ ज्यादा ही 'बिज़ी' हो गए
और अपनी खुद की सुध-बुध खोकर
बस उन्हीं के ख्यालों में खो गये । 
आखिर, हम पूछ ही बैठे कि जनाब जनता 
के किन हितों की 
कर रहे हैं आप बात !  
आप को आख़िरी बार कब देखा था 
अब तो यह भी नहीं आता याद !  
वे बोले, कैसी बात करते हैं श्रीमान !  
वो तो हम 'जन-कल्याण' की भावना के 
वशीभूत होकर आप सभी के लिए अनेकों 
लाभकारी 'स्कीमों' को समझने के लिए 
यूरोपीय देशों के 'स्टडी-टूर" पर चले गए थे      
और अभी हाल ही में वहां से 
अद्भुत ज्ञान प्राप्त कर लौटे हैं । 
आप स्वयं देखोगे कि कैसे शीघ्र ही 
आपके शहर और आप सभी के जीवन,
दोनों का ही, 
सम्पूर्ण काया कल्प हो जाएगा । 
मन में तुरंत यह ख्याल आया कि 
अब चुनाव घोषित हो गए हैं तो ही 
शायद नेता जी को यह 'जुमला' याद आया ।  
हमने अचानक उनसे यह भी ही पूछ लिया कि 
बिजली, पानी, सड़क, सुरक्षा आदि देने के   
आपके पिछले लुभावने वादों का क्या हुआ?  
और 'भ्र्ष्टाचार' को तो जड़ से ही उखाड़ फेंक देने  
जैसे आपके अनेकों-अनेक झूठे वायदों का क्या हुआ?  
विदेशों में खूब सैर-सपाटा करके 
अब पुन: लौट कर आएं है आप 
जब आप को एक बार फिर से सुनाई दे रही है 
शीघ्र आने वाले चुनावों की डरावनी थाप !
यह सब सुनकर नेता जी बगले झांकने लगे  
और फिर दोनो हाथ जोड़कर बोले, 
बंधु ! आप तो हमारे अपने हैं
आप से तो हमारे घर के से रिश्ते हैं । 
और फिर आप सब वोटर ही तो हैं हमारे माई-बाप !
आपकी वोट के बिना हमारी क्या बिसात ! 
किन्तु दूध के जले हैं इसीलिये 
छाछ को भी फूंक-फूंक कर पीना चाहते हैं इस बार !
अत: मन ही मन यह ठान लिया है कि 
अपने कीमती वोट को न जाने देंगे 
बेकार, अबकी बार ! 
जो अपनी सच्चाई और ईमानदारी से जीतेगा 
हम सब का विस्वास !
वही होगा इन चुनावों में 
हमारे वोटों का असली हकदार !
केवल वही होगा हमारे वोटों का …………।  

-एस.के.गुप्ता 
01/02/15






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