मिली थी जिन्दगी . . . . किसी के काम आने के लिए
पर वक्त बित रहा है . . . . कागज के टुकड़े कमाने के लिए !
कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना . . . .
वजह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है.
कदर और इज़्ज़त करनी है . . . . तो जीतेजी करो,
क्योंकि अरथी उठाते वक़्त तो नफरत करने वाले भी रो पड़ते है !
-हरिवंशराय बच्चन
कभी मिल सको तो बेवजाह मिलना . . . .
वजह से मिलने वाले तो ना जाने हर रोज़ कितने मिलते है.
कदर और इज़्ज़त करनी है . . . . तो जीतेजी करो,
क्योंकि अरथी उठाते वक़्त तो नफरत करने वाले भी रो पड़ते है !
-हरिवंशराय बच्चन
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