Monday, May 25, 2015

MMS Rekhrao (M-138) - "सुख का पता "

"सुख का पता "

ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है ? क्या तेरा कोई पक्का पता है ?
 क्यों बन बैठा है अन्जाना ? आखिर क्या है तेरा ठिकाना ?
कहाँ कहाँ ढूंढा तुझको पर तू न कहीं मिला मुझको
ढूंढा ऊँचे मकानोंमें, बड़ी बड़ी दुकानोंमें,
 स्वादिष्ट पकवानों में, चोटी के धनवानोंमें,
 वो भी तुझको ही ढूंढ रहे थे, बल्कि मुझको ही पूछ रहे थेI
 क्या आपको कुछ पता है, ये सुख आखिर कहाँ रहता है?
मेरे पास तो "दुःख" का पता था, जो सुबह शाम अक्सर मिलता थाI
परेशान होके शिकायत लिखवाई पर ये कोशिश भी काम न आईI
 उम्र अब ढलान पे है, हौसला अब थकान पे हैI
 हाँ उसकी तस्वीर है मेरे पास, अब भी बची हुई है आसI
 मैं भी हार नही मानूंगा, सुखके रहस्य को जानूंगाI
 बचपनमें मिला करता था, मेरे साथ रहा करता थाI
 पर जबसे मैं बड़ा हो गया, मेरा सुख मुझसे जुदा हो गया।
मैं फिर भी नही हुआ हताश, जारी रखी उसकी तलाशI
 एक दिन जब आवाज ये आई, क्या मुझको ढूंढ रहा है भाई!
 मैं तेरे अन्दर छुपा हुआ हूँ, तेरे ही घरमें बसा हुआ हूँI
 मेरा नहीं है कुछ भी "मोल", सिक्कों में मुझको न तोलI
 मैं बच्चों की मुस्कानों में हूँ, हारमोनियम की तानों में हूँI
पत्नीके साथ चाय पीने में, "परिवार" के संग जीनेमेंI
 माँ-बाप के आशीर्वाद में, रसोई घर के पकवानों में,
 बच्चों की सफलता में हूँ, माँ की निश्छल ममता में हूँ,
 हर पल तेरे संग रहता हूँ और अक्सर तुझसे कहता हूँ,
मैं तो हूँ बस एक "अहसास", बंद कर दे तू मेरी तलाशI
 जो मिला उसी में कर "संतोष", आजको जी ले कल की न सोचI
 कल के लिए आज को न खोना, मेरे लिए कभी दुखी न होना,
मेरे लिए कभी दुखी न होना ।। 


(Poet not known)


 MMS Rekhrao (M-138)
25/05/15

MMS Rekhrao (M-138) - Beautiful Poem by Gulzar

 Beautiful Poem by Gulzar
  जब

 मैं छोटा था,
 
शायद दुनिया
 
बहुत बड़ी हुआ करती
 
थी..मुझे याद है
 
मेरे घर से "स्कूल"तक का
वो रास्ता,क्या क्या
नहीं था वहां,चाट के ठेले, 
जलेबी की दुकान,बर्फ के गोले
सब कुछ,अब वहां 
"
मोबाइल शॉप",
"
विडियो पार्लर"हैं,फिर भी
सब सूना है..शायद
अब दुनिया
सिमट रही है...
 .
जब
मैं छोटा था,शायद
शामें बहुत लम्बी
हुआ करती
थीं...मैं हाथ में
पतंग की डोर पकड़े,घंटों उड़ा करता
था,वो लम्बी
"
साइकिल रेस",वो बचपन के
खेल,वो
हर शाम
थक के चूर हो
जाना,अब
शाम नहीं
होती,दिन ढलता है
और
सीधे रात हो जाती
है.शायद
वक्त सिमट रहा
है..जब
मैं छोटा था,शायद दोस्ती
बहुत गहरी
हुआ करती
थी,दिन भर
वो हुजूम बनाकर
खेलना,वो
दोस्तों के
घर का खाना,वो
लड़कियों की
बातें,वो
साथ रोना...अब भी
मेरे कई दोस्त हैं,पर दोस्ती 
जाने कहाँ
है,जब भी 
"traffic signal"
पर मिलते हैं
"Hi" 
हो जाती
है,और
अपने अपने
रास्ते चल देते
हैं,होली,दीवाली,जन्मदिन,नए साल पर
बस SMS  जाते
हैं,शायद
अब रिश्ते
बदल रहें हैं..जब
छोटा था, 
तब खेल भी
अजीब हुआ करते
थे,छुपन छुपाई,लंगडी टांग, 
पोषम पा,टिप्पी टीपी टाप.अब
internet, office, 
से फुर्सत ही नहीं
मिलती..शायद
ज़िन्दगी
बदल रही है.जिंदगी का
सबसे बड़ा सच
यही है.. 
जो अकसर क़ब्रिस्तान के
बाहर
बोर्ड पर
लिखा होता
है..."मंजिल तो
यही थी, 
बस
जिंदगी गुज़र गयी मेरी
यहाँ आते आते"ज़िंदगी का लम्हा
बहुत छोटा सा
है...कल की
कोई बुनियाद नहीं है
और आने वाला कल 
सिर्फ सपने में ही
है..अब
बच गए
इस पल में..तमन्नाओं
से भर
इस जिंदगी में
हम सिर्फ भाग रहे
 
हैं.कुछ रफ़्तार
 
धीमी करो, 
 
मेरे दोस्त,और
इस ज़िंदगी को जियो..खूब जियो मेरे दोस्त.....बहुत देखा जीवन में
समझदार बन
करपर ख़ुशी हमेशा
पागलपन से ही मिली है

(Poet Gulzar)
MMS Rekhrao (M-138)
19/05/15



S K Gupta (M-552) - "चाहतें"

"चाहतें"

जीवन का सबसे बड़ा सपना - केवल 'इंसान' बन के रहना |
जीवन की सबसे गाढ़ी कमाई - नेकी, ईमानदारी और सच्चाई | 
जीवन के सबसे अनमोल क्षण - निर्मल, निश्छल और चिंतामुक्त बचपन | 
जीवन की सबसे मधुर मुस्कान - संस्कारी बने संतान |
जीवन की सबसे प्रबल अभिलाषा - जीवन-साथी का साथ मिले हमेशा |
जीवन की सबसे महत्वपूर्व घड़ी - आपसी विश्वास और नाजुक रिश्तों की मजबूत कड़ी | 
जीवन का सबसे अनमोल खज़ाना - संकट के समय दोस्ती को निभा पाना | 
जीवन का सबसे बड़ा सुख - जाते समय न रहे "कुछ" न कर पाने का दुःख |
जीवन का सबसे बड़ा पुरस्कार- जीवन में कभी न मिले तिरस्कार |
जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप- जाने के बाद भी लोग कहें, चलो अच्छा हुआ आखिर कट ही गया पाप |  
जीवन की सबसे बड़ी इच्छा - जब प्राण छूटें तो यह मन से बस यही निकले कि हे ईश्वर, तेरा लाख-लाख शुक्रिया !     

एस.के.गुप्ता 
एम-552 
18/05/15

Kiran Jhamb (M-437) - जिंदगी की कीमत

जिंदगी की कीमत ।


ॐ , ओउम् तीन अक्षरों से बना है।


अ उ म् । अर्थात ॐ
"अ" का अर्थ है उत्पन्न होना,
"उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास,
"म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना।

ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है।

ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है।

जानीए ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक 
और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग...
1. ॐ और थायराॅयडः-
ॐ का उच्‍चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
2. ॐ और घबराहटः-
अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।
3. ॐ और तनावः-
यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
4. ॐ और खून का प्रवाहः-
यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
5. ॐ और पाचनः-
ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।
6. ॐ लाए स्फूर्तिः-
इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
7. ॐ और थकान:-
थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
8. ॐ और नींदः-
नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है। रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।
9. ॐ और फेफड़े:-
कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।
10. ॐ और रीढ़ की हड्डी:-
ॐ के पहले शब्‍द का उच्‍चारण करने से कंपन पैदा होती है। इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।
11. ॐ दूर करे तनावः-
ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है।

1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी... 
👍मौन होना सब से बेहतर है।
2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...
👍सफेद रंग सब से बेहतर है।
3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...
👍उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।
4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..
👍पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है।
5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी...
👍बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।
6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी...
👍अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।
7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी...
👍सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।
इंसान के अंदर जो समा जायें वो
             " स्वाभिमान "
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो
             " अभिमान "
✔जब भी बड़ो के साथ बैठो तो    
      परमात्मा का धन्यवाद ,
     क्योंकि कुछ लोग 
      इन लम्हों को तरसते हैं ।
✔जब भी अपने काम पर जाओ 
      तो परमात्मा का धन्यवाद करो
     क्योंकि बहुत से लोग बेरोजगार हैं ।
✔परमात्मा का धन्यवाद कहो 
     जब तुम तन्दुरुस्त हो , 
     क्योंकि बीमार किसी भी कीमत 
     पर सेहत खरीदने की ख्वाहिश 
      रखते हैं ।
✔ परमात्मा का धन्यवाद कहो 
     कि तुम जिन्दा हो , 
      क्योंकि मरते हुए लोगों से पूछो 
      जिंदगी 
की कीमत ।

किरण झांब  (एम —437)
17/05/15

M G Warrier (M-134) - Angels in White By Dr Tiny Nair

Angels in White
By Dr Tiny Nair
He collapsed in pain, unable to bear
Thought he would die, face writ with fear
The wailing ambulance and the cold wheelchair
From the comfort of home, to intensive care
Oxygen, saline, IV morphine
Put him to sleep, as the stents were put in
High-tech medicine worked overtime
His family sat stunned, by sudden shift of paradigm.
As morphine made him sleep sound
A set of angels hovered around
Their sharp eyes watched the monitor screen
Unperturbed by the beep and din
At his slightest moan and groan
They calmed him in a comforting tone
Whenever he opened his confused eyes
Those white-capped angels were there
For the next two days, and following night
Critical he was, but hope was in sight
By the weekend, he slowly improved
The crisis was over, surely beyond doubt
He thanked the doctors before he left
He believed their hands were ‘magical’ and ‘deft’
He thanked the great almighty God
‘Nothing happens without his supervision and nod’
He just forgot one little thing
Those Angels in the intensive wing
He knew them as nurses, without a name
In white uniform they all looked the same
Next time, in hospital, you do recover
Thank your stars, those angels were there
Do not forget, that they did not sleep,
because they knew, you have promises to keep
Scanners and manners in hospital are cold
Adds up to patients' tension untold
The smile of the nurse is the only hope
That helps patients fight back and cope
Nurses deserve a special ‘thanks’
For supporting us, on life’s slippery planks

(By Dr Tiny Nair)

M G Warrier (M-134) 
14/05/15